चुलबुली चुनमुन की चुलबुल ज़िन्दगी...
ये हवाएँ ये अनिश्चिततायें क्या क्या रंग ये दिखाए.. जाने मुझे कहाँ कहाँ ले जाए.. कभी दाय, कभी बायँ कभी ऊपर, कभी नीचे कभी इधर, कभी उधर चलता रहे खुशनुमा ये सिलसिला यूही जीवनभर.. एक तरफ़ प्रेम, दूजी तरफ़ भी प्रेम बीच में मैं, खिलखिलाती हुई प्रेम में मगन दिल हुआ जाए जैसे एक उपवन मस्ती सी छा रही है मेघा बरसने को हैं हवायें संग बहा रहीं हैं - - मुझे भी और मेरे ख्यालों को भी, एक ऐसी दुनिया में मुझे ले जा रहीं हैं - जहाँ जाने का मतलब है गुम हो जाना.. गुम होजाना, उन राहों में जो मेरी उमंगों का पता बताती हैं.. जो मुझे सांतवे आसमां पर पहुंचाती हैं, और हौले से मेरे कान में आकर कहती हैं जा, जीले अपनी ज़िन्दगी.. जिंदगी एक सफ़र है सुहाना यहां कल क्या हो किसने जाना! तो वर्तमान में खुदको समाने दे.. अपनी ख्वाहिशों को आसमां मिल जाने दे.. थोड़ा हंसले, थोड़ा रुक जा थोड़ा मुड़ जा थोड़ा ठहर जा थोड़ा मुस्कराले, थोड़ा झूमले थोड़ा प्यार को और करीब से आज तू जानले.. उसे तू चूमले ख़्वाब ये सलोने, ख्वाहिशें ये मस्त मगन जो ब्रह्मांड ने आज करी हैं पूरी इनको जी ले.. थोड़ा खुशी से झूम ...