बंधन..
बंधन.. कुछ बंधन आज़ाद करते हैं, कुछ बंधन अंदर एक हलचल का आगाज़ करते हैं, कुछ जीवन का कल और कुछ जीवन का आज बनते हैं.. ये बंधन ही तो हैं जो आत्मा को कैद रखते हैं, जो इंसान को आसक्त करते हैं, और यही वो बंधन हैं जो ईश्वर प्राप्ति का मार्ग भी प्रदर्शित करते हैं! ये बंधन कभी रोकते हैं आगे बढ़ने से और यही बंधन कभी हाथ थामे, कभी बाहें फैलाये, कभी कंधा लिए खड़े होते हैं जब हम बिखरने या निखरने की कगार पर होते हैं अर्थात् हमारी शक्ति भी इन्हीं से, और विपत्ति भी इन्हीं से तात्पर्य? जीवन मार्ग कठिन भी यही करते हैं (इन्हें छोड़कर आगे बढ़ना आसान नहीं) और कठिन मार्ग आसान भी (अकेले तन्हा सफ़र पर इनकी मदद से आगे बढ़ते रहना कठिन नहीं) हाँ, कभी कभी फ़ैसले लेना मुश्किल ज़रूर हो जाता है कि क्या इन्हें साथ लेकर चल पाएंगे? कोशिश ज़रूर करनी चाहिए पर इस कोशिश के दौरान खुद कहीं गुम न हो जाए बेनाम गलियों में, इसका ध्यान रखना अतिआवश्यक है। वरना हम जिस मकसद से पृथ्वी पर जन्में हैं, वो अधूरा रह जाएगा। और जीवन मरण का ये चक्कर यूही चलता रहेगा। शरीर बदलेंगे, बदल