माँ--एक सुन्दर शब्द, एक सम्पूर्ण ग्रन्थ
माँ - एक सुन्दर शब्द, एक सम्पूर्ण ग्रन्थ जिसकी महिमा है अनंत, कोई चाह कर भी इसकी महिमा पूरी कह न पाए, जिसकी व्याख्या करना है अत्यंत दुर्गम। यह वह शब्द है जिसे जितना जानो उतना है कम। इसमें छुपे है सारी खुशी व सारे गम, एक छोटा सा शिशु, जो कुछ भी कह न पाए उसके अधरों पर सजी मुस्कान है यह: एक वयस्क, जो अपने दिल की कसक किसी से भी साझा करने में घबराए उन सभी कही अनकही पीड़ाओं का अंत है यह, और दोनों के ही दुःखों से निवृत्ति का स्थान है यह। दोनों के बिना कहे ही उनके दुःखों का समाधान है यह। बालक के जीवन में सबसे उच्च स्थान पर है यह। खुद पीड़ा उठा कर , माँ बच्चे को दुनिया में लाए दुनिया में आगमन के पश्चात खूब लाड़ लड़ाए। माँ जैसा कोई और न दूजा, इनसे ऊपर न जग में कोई पूजा। माँ ही मिटाए जीवन का अँधियारा, बिन कहे जो समस्या समझ जाये , पल भर में उपाय सुझाये। सीने सें लग कर जिसके हम सारे गम भूल जाये। माँ हर बच्चे की जान होती है, पर माँ की जान तो उसके बच्चों में ही होती है। माँ जैसा दुलार, माँ का प्यार माँ का समझाना, माँ का रूठना-मनाना जिसने इन सबका म