ढूंढ रहें है भरोसा प्रेम के सागर में
जाने क्यों लोग अपनी ही बात से मुकरते हैं,
जाने क्यों लोग झूठ बोलते हैं ,
जाने क्यों लोग आने का बोलकर नहीं आते हैं,
जाने क्यों लोग आश्वासन देकर पीछे हट जाते हैं,
जाने क्यों लोग अपनी सच्चाई का हवाला देकर एक झूठ और बोल जाते हैं,
जाने क्यों, जाने क्यों, जाने क्यों ?
जाने क्यों लोग अपनो से पराया सा बर्ताव कर जाते हैं,
जाने क्यों खुद को ईमानदार कहकर एक और गद्दारी कर जाते हैं,
जाने क्यों लोग प्यार के बदले बस एक खट्टी सी याद छोड़ जाते हैं?
जाने क्यों, जाने क्यों, जाने क्यों ?
जाने क्यों लोग
काम नहीं है,
खाने के लिए नहीं है,
बच्चे भूखे हैं,
कहते थकते नहीं,
जब उन्हें कोई काम भाता नहीं?
जाने क्यों कामचोरी करते हैं?
जब करने के लिए काम मिलते हैं,
जब पेट भरने के लिए पैसे मिलते हैं,
तो क्यों खाली पेट सोते हैं?
जाने क्यों , जाने क्यों, जाने क्यों ?
हां, माना कि हम भी कोई तीस्मरखान नहीं।
गलतियां ऐसा नहीं कि हम करते नहीं।
पर ध्यान भी ऐसा नहीं कि हम रखते नहीं।
सर्दी में गरम कपड़े हो या
हो 3 टाइम का खाना,
और टीवी दिखाना,
कसर हमने भी कहीं कोई छोड़ी नहीं।
बदतमीजी से बात तुमसे हमने कभी करी नहीं,
तनख्वा किसी महीने की हमने तुम्हारी रोकी नहीं,
पर हां,
जिस दिन तुम्हारी ज़रूरत थी हमे सबसे ज्यादा,
उस दिन ऐसा हुआ नहीं कि तुमने छुट्टी करी नहीं।
जिस दिन हमारी तबियत खराब हुई हो,
उस दिन तुमने खाना बनाया हो,
ऐसा कभी हुआ नहीं।
ऊंची आवाज़ में तुमने हमसे बात न करी हो,
या हमारी बात के विपरीत कुछ न किया हो,
ऐसा एक दिन भी गुजरा नहीं।
जाने वाले को कोई रोक सकता नहीं।
जाओ!
पर किस दिन जा रहे हो, कम से कम जाने के बाद या घर से निकलते वक्त तो मत बताओ,
ज्यादा नहीं, तो थोड़ा ही सही
इंसानियत के नाते ही सही
ध्यान रख लो कभी
और बतादो एक महीने नहीं तो एक हफ्ते पहले ही सही!
जब - जब कोई धोखा करता है,
वो अपने लिए तो दिल के दरवाज़े बंद करता ही है,
पर वो आगे आने वाले सभी लोगों के लिए भी,
रास्ते बंद करने की वजह बन जाता।
जहां मैं बस प्रेम को,
एकता को,
मित्रता को,
भाईचारे को ही अपने जीवन का मूल मानकर चलती आई हूं,
ऐसी परिस्थिति में मैं असमंजस में खुद को पा रही हूं,
मानवता की परिभाषा न निभाते हुए लोगों से,
मन थोड़ा रूठ सा गया है,
मायूस हूं मैं।
मैं इस बात से अनभिज्ञ नहीं हूं कि,
सभी के सभी कार्य करने के पीछे अपने कुछ कारण होते हैं,
इंसान की परिस्थिति उसे वैसा बर्ताव करने पर मजबूर कर देती है
जैसा बर्ताव कोई भी इंसान करता है
कोशिश तो हमें भी करनी है
कि खुदके अंदर झांके
और इन सवालों के जवाब अपने आप अपने जीवन में ही ढूंढें,
ढूंढे कैसे खुदको सवारें,
कैसे खुदको ऐसा बना पाएं,
कि कभी किसी का गलती से भी दिल न दुखाएं।
किसीको नौकरी देने वाले,
किसीको नौकरी से निकालने वाले,
हम होते कौन हैं?
हम तो हमारा खुदका ही कुछ अपने आप नहीं कर सकते।
हम सब तो इस ब्रह्मांड के प्यादे हैं,
जो सीधे बस एक चाल चलते जा रहें हैं।
पर
अगर हम अपने जीवन उद्देश्य की ओर उचित कदम बढ़ाते रहे,
तो शायद जैसे प्यादे सामने वाले के पाले में पहुंच जाए,
तो एक नया जीवन दे सकता है।
उसी प्रकार हम भी
इन सवालों के जवाब ढूंढने में सक्षम हो गए
और जीवन रहते जी उत्तर प्राप्त हो गए
तो क्या पता हम भी
किसी प्राणी का जीवन सुगम बनाने के काम आ जाए।
अकेले हम तेज़ चल सकते हैं,
किसी का साथ मिल जाए,
तो दूर तक जा सकते हैं।
बस इसी आशा में हम अकेले निकल पड़े हैं,
खेतों के बीच एक छोटे से खेत में अपनी दुनिया बसाने,
लोगों के कैसे हम काम आजाएं,
प्रकृति का शुक्रिया किस प्रकार कर पाए,
इस पर काम कर रहे हैं।
चल रहें हैं छोटे - छोटे कदम।
है तलाश हमें भी भरोसे की,
जिनके साथ हम चलते रहें यूं ही,
छोटे-छोटे कदम हर पल, हरदम।
प्रेम का सागर है ये दुनिया,
मैं जीना चाहती हूं अपना जीवन लगाते हुए इसमें डुबकियां।
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