जब बंधन, बंधन न बनकर आज़ादी को संग जीने का सहारा बन जाए!

क्यों-
जब कोई हमसे ज़्यादा प्यार करता है, 
कोई हम पे मरता है, 
जो अपना हर पल हमारे साथ बाँटना चाहता है, 
हर पल हमें अपनी आँखों के सामने देखना चाहता है, 
तो हमें ऐसा लगता है कि 
हाँ, हम भी तुमपे जान छिड़कते हैं, 
हम भी तुम्हें उतना ही प्यार करते हैं, 
हम भी तुम्हारी फिक्र करते हैं, 
पर इन सबके चलते हम यह भी समझते हैं 
कि कुछ क्षण तुम भी शांति से केवल अपने साथ बिताना चाहते हो। 
कुछ पल तुम, सब भुलाकर बस शून्य हो जाना चाहते हो। 
सिर्फ अपने साथ, अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनना चाहते हो। 
हमारे अलावा जो तुम्हारे और भी करीबी रिश्ते हैं, 
तुम उन्हें भी संवारना चाहते हो। 
तुम उन्हें भी सहेजना चाहते हो। 
तुम हमसे हो और हम तुमसे, 
इसमें तनिक भी संदेह मात्र नहीं है। 
परंतु हाँ, हम इसे भी सहज स्वीकार करते हैं 
कि हमारे साथ-साथ तुम्हारे संसार में और भी रिश्ते हैं 
जिन्हें तुम चाहते हो, 
जिन्होंने हमारी अनुपस्थिति में तुम्हारा साथ दिया है। 
अगर आज तुम यहाँ हमारे साथ इतने प्रेम से जीवन जी रहे हो, 
तो शायद पीछे बहुत ही विकट परिस्थितियों में किसी ने तुम्हें कंधा, किसी ने अपना समय, किसी ने स्वयं खुद को 
तुम्हारे लिए समर्पित किया होगा, 
ताकि तुम उस मुश्किल समय से पार हो पाओ। 
तुम्हारे साथ-साथ हम भी उनका धन्यवाद करते हैं 
कि उनकी वजह से आज तुम हमारे प्रियतम हो।
अर्थात्‌ ये हमारा कर्तव्य है कि हम उनके सदैव आभारी रहें। 
तुम्हारे समय पर उनका भी अधिकार है, 
इस बात से हम भलिभांति परिचित हैं
और तुम्हारा साथ देना चाहते हैं! 
हम चाहते हैं कि तुम कुछ पल उनके लिए, 
कुछ अपने लिए निकालो, 
और आभार व्यक्त करो समय का, उन दोस्तों का, और खुद का 
कि आज तुम जो कुछ भी हो सबके प्रेम और स्नेह के कारण ही हो! 

हाँ, तुमने अपना जीवन हमारे साथ बिताने का निर्णय किया है
हम तुम्हारे मन को भाए हैं, 
हम दोनों ने साथ जीने मरने की, 
सदैव एक दूसरे का साथ निबाहने की कसमें खाई हैं, 
इसलिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है 
कि हम तुम्हारे रिश्तों की अहमियत को समझने में 
तुम्हारा साथ दें, 
और तुम हमारा! 
 हम तुम्हारे समय को समय दें 
और तुम हमारे! 
हम तुम्हें तुम्हारा स्पेस दें 
और तुम हमें हमारा!

इस तरह साथ रहते हुए भी हम दोनों एक दूसरे को पूर्णता प्रदान करते हुए, बंधन को बंधन की भांति न जी कर, स्वतंत्र भाव से आज़ादी को हर पल एक दूसरे से साझा कर पाएंगे!

अगर रोज़ थोड़ा-थोड़ा ब्रेक, थोड़ा-थोड़ा स्पेस एक दूसरे को देते रहेंगे तो एक दूसरे से ब्रेक लेने की नौबत नहीं महसूस करेंगे कभी, हमे ऐसा लगता है!




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