जग सूना सूना लागे!

ऐसा लगता है जीवन में लोग आते ही जाने के लिए हैं!
कोई ठहरता ही नहीं है। 
कोई ये समझता ही नहीं कि जाने से आसान है रुकना। 
या समझते भी हैं तो शायद उनके बस में नहीं होता रुकना!

पर आने जाने के इस सफ़र को ही तो ज़िंदगी कहते हैं,
हाँ जिसे ठहरना होता है वो ठहरता है, 
और जिसे जाना होता है वो जाता है। 
परंतु ये सब कहना जितना सरल है,
उतना ही मुश्किल है इसे जीवन में उतारना!

जब ये आने-जाने का सफर यूँही निरंतर चलता रहता है, 
अब किसी को दिल के अंदर आने ही नहीं देंगे, ऐसा तो मन करता है, 
पर कहाँ हमारे दिल और जीवन पर हमारा ये बस चलता है! 

दिल, जैसे एक सुन्दर उपवन है - 
जहाँ जो भी प्रेम लिए अंदर आया, 
सदा सदा के लिए वहीं रह गया! 

न आने पर ज़ोर, 
न जाने पर ज़ोर, 
पर इन सबके बीच में बेचारा दिल ही करत है शोर! 
हमेशा दौड़े चला जाए प्रेम की ओर! 

जब कुछ हाथ में न हो, 
और बस तलब हो 
कि सुनले वो जाने वाला दिल की आवाज़, 
लगा ले गले, 
और कह दे रखकर कांधे पर हाथ 
कि, '' मैं हूँ हमेशा तेरे साथ!'' 
पर ये बात बस दिल की दिल से ही होती है 
या ज़्यादा से ज़्यादा डायरी में हमारे और कलम के मध्य दर्ज होकर ही रह जाती है! 

और हम लग जाते हैं, 
अपने वादों को निभाने में, 
और जो अधूरे रह गए हैं, 
उन्हें किसी तरह संजोने में 
कि काश मिल जाए एक और मौका 
सपनों को हकीकत बनाने का!



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