प्रेम
प्रेम किसीको पाना नहीं, प्रेम खुदको किसीमें खो देना है। प्रेम में ये सोचना कि हमे क्या मिलेगा? प्रेम की पवित्रता को कम कर देता है क्योंकि प्रेम तो बस अपना सब कुछ न्यौछावर करना है। प्रेम जीवन को एक नयी ऊर्जा प्रदान करता है। इसलिए नहीं कि जिससे हम प्रेम करते हैं वो सदा हमारे साथ रहे और हमें प्रेम करे बल्कि इसलिए कि प्रेमी का होना ही है काफी, उसके होने में ही सिमट जाती है दुनिया हमारी। प्रेम साथ में रहना नहीं, साथ में जीना सिखाता है। प्रेम हमारे हृदय में वास करता है, उसका दुनिया के बंधनों से कोई नाता नहीं। दुनिया प्रेम को संग जीने में 100 प्रतिबंध लगा देती है। पर प्रेम कोई प्रतिबंध नहीं जानता। वो तो बस हो जाता है.. दिमाग चाहे लाख बहाने बनाए, दिल तो बस किसीका हो जाता है। प्रेम की महिमा का बखान दिल के ही बस में है, दिमाग तो बस दुनिया के आडम्बरों में उलझकर रह जाता है! जो दिमाग की सुनने में रहता है, प्रेम अक्सर उससे दूर हो जाया करता है। किसी के प्रेम में खो जाना आसान नहीं और एक बार खो गए तो लौ...